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Thursday, February 22, 2024

बहुत दिमाग वाले है हम ?

 शायद शीर्षक पढ़ कर आपको लगे की सही तो कहा है की हम बहुत दिमाग वाले है . आज की पीढ़ी में पहले से बहुत ज्यादा दिमाग आ गया है . वो प्रत्येक चीज को कसोटी पर कसते है फिर उसको स्वीकार करते है . कई लोग तो अपने माँ बाप के अपने होने पर भी संदेह कर देते है. उन्हें शक होता है की पता नहीं ये उनके माँ बाप है भी या नहीं ?

ये लेख लिखने का मेरे मन में क्यों आया पहले इस मुद्दे पर आता हूँ . धर्म के मामले में दुनिया में दो तरह के लोग होते है : एक जो भगवान को मानते है , एक जो भगवान को नहीं मानते .. यानि की आस्तिक और नास्तिक . पर अब एक नयी तरह के लोग आये है जो स्वयं को नास्तिक भी नहीं कहते है और आस्तिक बनते हुए भी डरते है … उन्हें भगवान के होने पर संदेह है .

अभी कुछ दिन पहले मैं राम मंदिर के बारे में पढ़ रहा था . किसी ने प्रयागराज  उच्च न्यायालय में तुलसी दास जी की “दोहा शतक ” का उल्लेख करते हुए कहा है की उसमें मंदिर के बारे में उल्लेख है की बाबर ने उससे तोड़ कर मस्जिद का निर्माण किया था . अब मैंने उस पुस्तिका का गूगल पर ढूँढने का प्रयास किया पर नहीं पा सका . अब मुझे ये तो नहीं ज्ञात की न्यायालय का क्या निर्णय रहा , परन्तु कुछ लोगों ने उसके होने पर ही संदेह प्रकट कर दिया . एक महाशय का कहना था की ये सिर्फ एक कहानी है और कहानी के सिवा कुछ नहीं है . उन्होंने तो तुलसी दास को हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पथ भ्रष्टक बतलाया . वो स्वयं हिन्दू होते हुए भी हिंदुओं के खिलाफ़ है।

ये भारत में एक परंपरा चल पड़ी है , हिन्दू धर्म की हर बात का विरोध करना। चाहिए वो राम मंदिर हो , चाहे कोई त्योहार हो , या फ़िर कोई हिन्दू संत हो ।

आजादी के बाद से देश में कितना धर्म परिवर्तन हुआ है ये सब के सामने है । बहुत से राज्य पूर्णतया मुस्लिम राज्य बन चुके है । कॉंग्रेस पार्टी ने सिद्ध कर दिया है की वो एक मुस्लिम पार्टी है ।  वोट की खातिर वो कुछ भी कर सकते है । देश की आजादी के 75 साल बाद भी देश मे अनपढ़ों की संख्या कम नहीं हुई है । जो लिख पढ़ गए है उनके दिमाग तर्क की अपेक्षा कुतर्क में ज्यादा चलते है । जैसे की मैंने लेख के शुरू मे लिखा है की कुछ लोगों को अपने माँ – बाप पर भी संदेह होता है की वो उनकी औलाद है या नहीं।

हमारे देश में हिन्दू अपने ही धर्म के विरोध में जहर उगलते है . ये वैसे तो स्वयं को हिन्दू दर्शाते h हैं परन्तु अंदर से ये दूसरा धर्म अपना चुके होते है . ये वो लोग है, जो मानसिक रूप से पिछड़े हुए है  और हर काम में कमियां निकलते रहते है.

जिन लोगों का राजनीती जा “र” भी नहीं आता वो भी अपने आप को राजनीती का गुरु समझने लगते है .

उन्हें लगता है की देश को वो ही लोग चला सकते है, परन्तु जब उनके घरों में देखेंगे तो पता चलेगा की वे अपने घर को ही नहीं चला पाते , वे देश के चला पाएंगे. वे सिर्फ खामियां निकल सकते है .

2014 से पहले, विदेशों में भारतीयों की कोई औकात नहीं होती थी . आज भारत की इज्जत पूरी दुनियां में होती है . आज हमारे देश की छवि बहुत सुधर गई है . भारतीयों की इज्जत भी बढ़ी है .

अभी हमें और ऊपर तक जाने के लिए देश के विरोधियों को ख़तम करना होगा. अगर भारत को प्रथम स्थान पर लाना है तो विरोधी ताकतों को खत्म करना होगा.

Copyright : kiloia

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