हमें-
श्रद्धांजलि-
नहीं चाहिए
किसी की भी
श्रद्धांजलि-
नहीं चाहिए
किसी की भी
हमें तो चाहिये बदला
अपनी शहादत का
हम तो मिट गए हैं सब
देश के लिए दे दी है जान
अपनी शहादत का
हम तो मिट गए हैं सब
देश के लिए दे दी है जान
अब देखते हैं हम
कैसे रखोगे तुम ?
हम सबकी क़ुर्बानी का मान
कैसे रखोगे तुम ?
हम सबकी क़ुर्बानी का मान
ख़ून में तुम सब के
अगर बहती रवानी है
दुश्मन की ज़िन्दगी
ख़ून से नहलानी है
अगर बहती रवानी है
दुश्मन की ज़िन्दगी
ख़ून से नहलानी है
देश के आकाओं
दो छूट सेना को खुली
मारे घर में घुस कर दुश्मनों को
मचा दे आतंकियो में खलबली
दो छूट सेना को खुली
मारे घर में घुस कर दुश्मनों को
मचा दे आतंकियो में खलबली
तुम्हारी श्रद्धांजलि
तभी होगी क़ुबूल
जब इन दहशतगर्दों को
चटा दोगे धूल
तभी होगी क़ुबूल
जब इन दहशतगर्दों को
चटा दोगे धूल
आज अगर इनको
नहीं सबक सिखाया
मिल जायेगा मिट्टी में
देश ने जो था नाम कमाया
नहीं सबक सिखाया
मिल जायेगा मिट्टी में
देश ने जो था नाम कमाया
आँसुओं को अपने
यूँ न जाया करना
मौत का ग़म तुम
दिलों में यूँ न भरना
यूँ न जाया करना
मौत का ग़म तुम
दिलों में यूँ न भरना
मरने को वतन पर
हमने थी कसम खायी
पर जालिमों ने हद की
धोखे से बस उड़ाई
हमने थी कसम खायी
पर जालिमों ने हद की
धोखे से बस उड़ाई
आत्माएं हमारी
तब तक न शांत होंगी
जब तक दुश्मन की
न जान भयाक्रांत होगी
तब तक न शांत होंगी
जब तक दुश्मन की
न जान भयाक्रांत होगी
जयहिंद!
अम्बर हरियाणवी