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Sunday, May 12, 2019

सखी साहित्य परिवार दिल्ली इकाई की सातवीं काव्य गोष्ठी - १२ मई २०१९

सखी साहित्य परिवार की सातवीं काव्य गोष्ठी दिनांक 12 मई 2019 को सखी साहित्य परिवार की दिल्ली सचिव श्रीमती आशा दिनकर जी के निवास स्थान पर हुयी। दिल्ली अध्यक्ष मुकेश गोयल 'किलोईया' के साथ दिल्ली उपाध्यक्ष कर्मेश सिन्हा जी भी उपस्थित रहे।

उपस्थित साहित्यकार।

1. सुभाष दुआ जी - जिंदगी कुछ यूं कटी गुनहगार हूँ जैसे
2. अशोक सिंह सत्यवीर - माँ
मातर दिवस की शुभ बेला में मात्र शक्ति को करे नमन।
3. सपना सक्सेना - दौरे उल्फत गुजर गया होता। वो भी तुझ सा जो गिर गया होता।
4. मालती मिश्रा जी - जिसके जो मन मे हो कह कर प्रगट करे, अभिव्यखती का सब को अधिकार चाहिए।
5. आफताब आलम - वो अपने खून को जब सरहदों पे बोता है, तब कहीं चैन से ये अपना देश सोता है।
- ये नफ़रत की आंधी ये दंगो के तूफ़ान
मेरा देश जाने कहाँ जा रहा है।
6. अंजना अंजुम - निगाहों में छुपा कर एक चाहत लेकर आई हूं। तबसुम में सजी लिपटी एक इबादत लेकर आई हूं
7. चित्रा चतुर्वेदी - नफरतों से भरी है ये दुनिया मेरे यारो,
- प्यार के रंगों में यूँ रंग जाओ, मजहबो को यूँ लेके न झगड़ो करो।
8. कर्मेश सिन्हा - नेताओ की ये नई चाल है, ये चुनावी साल है, ये चुनावी साल है
9. अजो देवी - तुम्ही मेरी कहानी हो, तुम्ही अल्फाज हो मेरे, हो मेरी जिंदगानी तुम।
10. विजय लक्ष्मी - तुमने मुझे गढ़ा, तुम्हे कैसे गड़ू माँ
11. मंजू शाक्य - मैं दिल मे प्यार छोटो का बड़ो का सम्मान करती हूँ
12. इब्राहिम अल्वी - मेरे मन की पीर को जान सका है कौन, माँ की जब चर्चा चले, मैं रहता हूँ मौन
13. प्रवीण त्रिपाठी - भारत के हर भाग में गर्मी पड़े प्रचंड,
14. अनुराग - दिल से दिल तक कोई तो सदा जाएगी, उसके दर तक जो वादे शफा जाएगी

इसके बादमुझेकिसीकारण वश जाना पड़ा ..बाकि के साहित्यकारों काकाव्यपाठ में श्रवण नहीं कर पाया ..

अंबर हरियाणवी













माँ

माँ
कब से
नहीं सुनी,
तुम्हारी लोरी,
काश!
एक बार फ़िर से,
तुम आ जाती वापिस।
इस बेचैन जिंदगी में,
कुछ मिलती राहत।
तुम्हारे आँचल की छांव में,
मैं बन जाता एक छोटा बच्चा।

अम्बर हरियाणवी
©KILOIA