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Saturday, May 30, 2020

आहवान !

चाहने से कुछ बदल सकता है जग में,
उसके लिए तो अपना खून बहाना होगा।

दिलों में जला कर आशा की मशाल,
क्रांति का आह्वान सब में लाना होगा।

हर कोई हो उम्मीद में बदलेगा कोई,
किसी एक को तो सामने आना होगा।

कहना आसान है बहुत हर किसी के लिए,
कुछ कर के पहले ख़ुद को दिखाना होगा।

भाषणबाजी के समुंदर में बहुत है मगर,
विश्वास से इस दुनिया को जिताना होगा।

हर कोई है मगन, किसे परवाह किसी की,
'अम्बर' हर एक को झकझोड़ कर जगाना होगा।

अम्बर हरियाणवी
©KILOIA
17092019
JKSF 0004/2018

Friday, May 29, 2020

दिल्ली और कोरोना !

पुरे भारत के साथ दिल्ली में भी पहले २२ मार्च  को जनता कर्फ्यू के था ही लॉक डाउन शुरू हुआ. लॉक डाउन 1.0, लॉक डाउन 2.0 बहुत अच्छा रहा . लॉक डाउन ३.0 में लोगों को खुजली होने लगी. सरकार जनता के बारे में नहीं सोच रही है . काम नहीं होगा तो लोग भूखे मर जायेंगे . सभी लोग सरकार पर अपना गुम्बार निकालने लगे . इस दौरान कोरोना पुरे नियन्त्र्ण में था .

पर कुछ राजनीती, कुछ लोगों को काम की चिन्ता, सरकार ने लॉक डाउन ४.0 में बहुत छुट दे दी . १७ मई को लॉक डाउन ३.0 ख़तम हुआ, लॉक डाउन ४.0 शुरू हुआ. सरकार ने कुछ छुट दे दी , दुकानें खोलने की आज्ञा दे दी , लोगों को लगा की उन्हें आजादी मिल गयी है . सभी घरों  से बाहर निकल आये . लोगों को लगा की कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा. बहुत से लोग तो मास्क लगाना भी जरुरी नहीं समझ रहे है.ऐसे में कोरोना को मौका मिल गया . जहाँ पहले 100 – १५० केस हर दिन के आ रहे थे , धीरे धीरे बढ़ते बढ़ते कल (२८मई 20) ११०० केस एक दिन के हो गए . कुल मिलकर १६२८१ कैसें २९ तारीख तक को दर्ज हुए . २७, २८ और २९ मई को संख्या 1000 प्रतिदिन  के आसपास हो गयी . ११ दिन में क़रीब ६५०० नए केस आ गए .

अचानक से इतने केस बढ़ने का कारण लोगों की भीड़ बढ़ने से हुआ . सभी पैसा कमाना चाह रहे है . लेकिन लॉक डाउन ४.0 में सब को समझ आ गया की पैसे से ज्यादा जान बचाना जरुरी है . पहले सरकार ने दो महीने सभी को अच्छी तरह से समझा दिया की घर में रहने में ही भलाई है , परन्तु जनता को समझ नहीं आ रहा था . उन्हें लग रहा था की सरकार उन्हें बेवकूफ़ बना रही है . हम घर पर रहेंगे तो काम कैसे चलेगा ?

इसलिए लॉक डाउन ४.0 में सरकार ने जनता को पूरी छुट दे दी . सुबह ७ बजे से शाम ७ बजे घुमो फिरो , कोई रोकटोक नहीं . लोग ने भी मनमर्जी शुरू कर दी . नतीज़ा ११ दिन में ६५०० नए केस . पहले प्रतिदिन २०० – २५० केस ही आते थे , अब प्रतिदिन का आकड़ा ११०० को पार कर गया .

शायद लोगो को समझ आने लगा है की कहीं कुछ ग़लत होने जा रहा है . दुकानदारों को लग रहा था की सरकार जबरदस्ती उनकी दुकानें बंद करवा रही है, लेकिन अब उन्हें समझ आ गया है की सरकार सही थी, अपने घर में रहने में ही भलाई है . अब सब अपनी मर्जी से दुकान बंद कर रहे है .

शायद अब लोगो को समझ में आ जाये की अपनी सुरक्षा कितनी जरुरी है . भारत में लोगों को सब चीजों का मजाक बनाने की आदत सी हो गयी है . उन्हें लगता है की कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा . परन्तु अब ऐसी नौबत आ गयी है की कोरोना का कोई भी चिन्ह नज़र नहीं आता और इंसान कुछ ही घंटो में चल बसता है .

सरकार के पास भी इतने साधन नहीं है की सब को हॉस्पिटल में भर्ती रख सके . अभी कोरोना का कोई भी इलाज़ नहीं है . दो दिन पहले के समाचार ने शायद सब को जरुर हिला दिया होगा . किसी हॉस्पिटल में १८० से ज्यादा लाशें अपने अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा में है . श्मशान घाट पर पूरी सुविधाएँ नहीं है . मृतक का शरीर भी परिवार वालो को नहीं दिया जा रहा है . लोगों को स्तिथि शायद समझ में आ जाये . अपनी सुरक्षा सब से जरुरी है . २०२० निकल जाये . जान बची रहेगी तो २०२१ में सब करना जो इच्छा हो .

घर पर रहे, सुरक्षित रहे !

अम्बर हरियाणवी

#KILOIA