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Tuesday, June 30, 2020
Thursday, June 25, 2020
जिन्दगी और हम !
इस समय पुरे विश्व में कोरोना के कारण हाहाकार मचा हुआ है . भारत भी इस से अछूता नहीं है . चीन से शुरू हुयी ये महामारी इस समय पूरी दुनिया में फैल चुकी है . शुरू में भारत में इस पर बहुत नियंत्रण रहा . ६५ दिन लॉक डाउन रहने से बीमारी बहुत कम फैली . लेकिन जैसे ही लॉक डाउन ख़त्म हुआ लोग मधुमक्खीयों के छत्ते से उड़ी मधुमक्खीयों की तरह घर से बाहर निकल पड़े . जिस की वजह से महामारी को फैलने का मौक़ा मिल गया और ये दुगनी गति से बढ़ चली . एक दिन में 10000 से ज्यादा केसेस आने लगे है .
इस समय मनुष्य के सामने जिन्दगी बचाने और जिन्दगी को चलाने की समस्या है . सरकार ने लॉक डाउन में छुट देकर सब को काम करने की छूट दे दी . लोगों ने दुकान पर जाना शुरू किया और साथ ही बीमार भी पड़ने लगे . जहाँ शुरू में लोग सरकार को बदनाम करने पर तुले थे वे अब स्वयं अपनी दुकाने बंद करके घर पर बैठ रहे है . दिल्ली में कई मार्केट्स में इस बीमारी की वजह से मौत भी हुयी है . एक अनजाना भय सब में व्याप्त है . अभी तक इसका कोई इलाज भी नहीं आया है .
Monday, June 15, 2020
"आत्महत्या किसी चीज़ का इलाज़ नहीं।"
जिन्दगी के बाज़ार में
हर कोई मसरूफ है।
यहाँ तमाशाई है हर कोई
ये तन्हाई क्या ख़ूब है।
जिन्दगी से भर गया मन
चलने की तैयारी है,
गमों के समंदर में यारों
मौत सब से प्यारी है।
"आत्महत्या किसी चीज़ का इलाज़ नहीं।"
"दुःख है तुम्हारी मौत का सुशान्त, पर आत्महत्या....अफ़सोस कायराना हरक़त है, कोई इसे न अपनाएं।"
अम्बर हरियाणवी
हर कोई मसरूफ है।
यहाँ तमाशाई है हर कोई
ये तन्हाई क्या ख़ूब है।
जिन्दगी से भर गया मन
चलने की तैयारी है,
गमों के समंदर में यारों
मौत सब से प्यारी है।
"आत्महत्या किसी चीज़ का इलाज़ नहीं।"
"दुःख है तुम्हारी मौत का सुशान्त, पर आत्महत्या....अफ़सोस कायराना हरक़त है, कोई इसे न अपनाएं।"
अम्बर हरियाणवी
Thursday, June 11, 2020
अनलॉक डाउन 1
भारत में अनलॉक डाउन 1 शुरू हुआ . ११ दिन हो गए गए . ११ दिन में रोजाना १०००० के करीब नए केस आ रहे है . भारत के लोगों को कोरोना का कोई ख़तरा नहीं लगता . सभी बेखोफ़ होकर बाहर घूम रहे है . मस्ती से गोलगप्पे , चाउमीन खा रहे है .
लोग ये क्यों नहीं समझ रहे है की सरकार ने ढील दी है , कोरोना ने नहीं .
अपने घर पर रहे सुरक्षित रहे .
अम्बर हरियाणी
लोग ये क्यों नहीं समझ रहे है की सरकार ने ढील दी है , कोरोना ने नहीं .
अपने घर पर रहे सुरक्षित रहे .
अम्बर हरियाणी
Tuesday, June 2, 2020
एक मुट्ठी धूप !
एक बार फिर ज़िन्दगी की जंग लड़ते लोगों के लिए :
एक टुकड़ा धूप
हथेली में अपनी भर लूँ !
खोल दूँ ले जाकर
अँधेरों की कोठरी में
जहाँ से आती है
घुटती सिसकती आवाज़ें-
अनजान आवाज़ें
संघर्षशील
जीवन को पाने को !
नहीं कोई राह
बाहर निकलने की।
उम्मीद पर जी रहे हैं
कोई तो लाकर दे उन्हें
एक मुट्ठी धूप।
जी सकें वो भी,
एक पूरी ज़िन्दगी।
अम्बर हरियाणवी
JKSF/0004/2018
©KILOIA
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